पलकों में आज फिर
ये नमी क्यों आई है
शायद तुम्हारी कमी
आँखों में इसे लेके आई है
शिकवा करूँ भी तो किससे
तुमसे या इस खुदा से
जिसने तुम्हारी साँसें
तुम्ही से चुराई हैं
आज फिर उन लम्हों
को महसूस किया हमने
कह नहीं सकती
कितना दर्द हुआ हमको
पर पूछना चाहती हूँ
तुमसे भी एक बात
क्या तुम्हे भी इतना ही
दर्द होता है !!!
ये नमी क्यों आई है
शायद तुम्हारी कमी
आँखों में इसे लेके आई है
शिकवा करूँ भी तो किससे
तुमसे या इस खुदा से
जिसने तुम्हारी साँसें
तुम्ही से चुराई हैं
आज फिर उन लम्हों
को महसूस किया हमने
कह नहीं सकती
कितना दर्द हुआ हमको
पर पूछना चाहती हूँ
तुमसे भी एक बात
क्या तुम्हे भी इतना ही
दर्द होता है !!!
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteवाह ! बहुत खूब प्रतिभा जी
ReplyDeleteसादर
वाह !
ReplyDeleteमंगलकामनाएं !
दिल को छु लेने वाला एहसास।
ReplyDeleteबेहतरीन।
जहां चाह वहां राह ... उनको भी दर्द है जरूर ...
ReplyDeleteThank You so much Dilbag ji!!!
ReplyDeleteअच्छी भावाभिव्यक्ति
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