इत्तेफ़ाक से गर तुम्हे मिल जाए जिंदगी
मुस्कुराते हुए किसी चौराहे पे
हंस के मेरा भी सलाम कर देना
जिंदगी की उन तंग गलियों से
हम निकल न पाए वक़्त पे
शायद तभी थोड़ी नाराज़ सी है
पता है हमको मना तो लेंगे
बस अभी वक़्त की कुछ पाबंदी है
डर है कहीं रिश्ता न टूट जाए
और वो हमे भूल न जाए...
तुम्ही मेरा संदेशा पहुंचा देना
उसको मेरे होने का एहसास करा देना
शायद खुद मिलने चली आये हमसे
वक़्त निकाल के!
सोंचती हूँ मिलेगी तो क्या बोलूंगी...
शिकायत करूँगी
बहुत लड़ूंगी भी
भला ऐसे कोई नाराज़ होता है क्या...
बिना बात किये कैसे कोई रह सकता है
मना लूँगी मैं अपने तरीके से
बस तुम मेरा संदेशा पहुंचा देना
मेरे होने का उसको एहसास करा देना!!
मुस्कुराते हुए किसी चौराहे पे
हंस के मेरा भी सलाम कर देना
जिंदगी की उन तंग गलियों से
हम निकल न पाए वक़्त पे
शायद तभी थोड़ी नाराज़ सी है
पता है हमको मना तो लेंगे
बस अभी वक़्त की कुछ पाबंदी है
डर है कहीं रिश्ता न टूट जाए
और वो हमे भूल न जाए...
तुम्ही मेरा संदेशा पहुंचा देना
उसको मेरे होने का एहसास करा देना
शायद खुद मिलने चली आये हमसे
वक़्त निकाल के!
सोंचती हूँ मिलेगी तो क्या बोलूंगी...
शिकायत करूँगी
बहुत लड़ूंगी भी
भला ऐसे कोई नाराज़ होता है क्या...
बिना बात किये कैसे कोई रह सकता है
मना लूँगी मैं अपने तरीके से
बस तुम मेरा संदेशा पहुंचा देना
मेरे होने का उसको एहसास करा देना!!
जय मां हाटेशवरी....
ReplyDeleteहर्ष हो रहा है....आप को ये सूचित करते हुए.....
दिनांक 06/02/2018 को.....
आप की रचना का लिंक होगा.....
पांच लिंकों का आनंद
पर......
आप भी यहां सादर आमंत्रित है.....
HI mam
ReplyDeleteDO you wish to publish your book, contact us=: publisherbbp@gmail.com
वाह!!बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteBadhiya line hain, kya aap book publish krana chahte hain,
ReplyDeletePublish Online Book in only 30 days
Manna jab aap loge zindagi ko, saath hi un lamho ka hisab bhi le lena,, jo kho gaye raat ke ujjalo mei..unn galieyo ki diwaaro mei...sahyad lautade udse bhi naye appsano mei...
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