जब भी तुम्हारा जिक्र होता है
लबों पे ख़ुशी खुद -ब- खुद आ जाती है
क्या है हक़ीक़त किसको मालूम
कल क्या होगा किसको खबर
आज तुम हो और ये पल
कब धूमिल हो जाए किसको खबर
कुछ तो खास है तुम में
और तुम्हारी बातों में
जो ये पल थम सा गया है
अब देखते हैं वक़्त का फैसला क्या होता है !!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (24-01-2018) को "महके है दिन रैन" (चर्चा अंक-2858) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
nice lines, looking to convert your line in book format publish with HIndi Book Publisher India
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण !
ReplyDeleteसुन्दर रचना
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