Monday, April 03, 2017

ख्वाबों की दुनिया...

ख्वाबों की दुनिया हर कोई बनाता है 
जिसमें उम्मीदों की पेंगें भरता  है 
सारे पहलुओ को हम दरकिनार कर 
उड़ना चाहतें हैं खुले आसमाँ  में 
शायद ये उम्मीद नाम ही है 
टूटने का.... 
कोई न कोई खड़ा रहता है 
हमारे पर कुतरने को 
और शायद मन ही मन 
मुस्कुराता है ओ शक्स 
अपनी झूठी  जीत पर 
पर शायद ये नहीं जानता ओ 
कि कुदरत सब देख रही है 
उस इंसान की चली हुई 
हर चाल का जवाब मिलेगा 
और उस वक़्त कोई आँसू  
पोंछने वाला भी पास न होगा 
संभल जाओ ऐ एहसानमंदों 
लगा लो लगाम अपनी आदतों पे 
वरना वक़्त की मार से 
उबर न पाओगे 
कुछ कहना भी चाहोगे 
तो तड़प के रह जाओगे!!!

6 comments:

  1. दिनांक 04/04/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंदhttps://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
    आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
    आप की प्रतीक्षा रहेगी...

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  2. गहरी सोच से उपजी रचना ...

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  3. बहुत ही मार्मिक वर्णन जीवन के सारभौमिक सत्य का।

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  4. सुन्दर शब्द रचना

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  5. बहुत सुन्दर

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