Thursday, June 16, 2016

रात कैसे गुजर गई ...


रात कैसे गुजर गई 
चाँद निहारते निहारते 
वक़्त का कुछ पता न चला !

इतनी कशिश न तुम्हारी बातों में थी 
न ही तुम्हारी यादों में 
जो हमें पूरी रात जगा सकते !!!

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