Passionate about poetry, nature and human psychology. A wanderer, firm believer of creativity, the best quality a person can acquire in his lifetime. This is the blog of Pratibha Verma.
Wednesday, June 01, 2016
डरती हूँ ...
सीप में मोतियों की तरह
सजाया है तुझे इस दिल में
डरती हूँ कि कहीं
तुझे कोई चुरा न ले !!!
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 02-06-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2361 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
वाह.. बहुत खूब कहा आपने.
ReplyDeleteदिल से कौन चुरा सकता है ...
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब कहा
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