Thursday, August 06, 2015

चले जा रहे हैं...

बस चले  जा रहे हैं
इस अन्जानी सी राह पे
न मंजिल का कुछ पता
न राहों से कोई वास्ता
बस अपनी ही धुन में
चले जा रहे हैं
हाँ तुम्हारे साथ का
भीना सा एक एहसास है
बस उस एहसास के साथ
एक भरोसे  की डोर
बाँधी है मैंने
अब डोर कितनी
मजबूत है
ये फैसला
वक्त का होगा !!!

6 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (07.08.2015) को "बेटी है समाज की धरोहर"(चर्चा अंक-2060) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

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  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (07.08.2015) को "बेटी है समाज की धरोहर"(चर्चा अंक-2060) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

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  3. Anonymous3:27 PM

    फैसला वक्त का होगा

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  4. भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...वक़्त के फैसले ही जीवन चलाते हैं हम सबका

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  5. बहुत खूब ..

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  6. Very beautifully expressed......impressive

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