Thursday, November 06, 2014

ज़िन्दगी से यूँ खफा क्यों...

नहीं पता क्या है
तुम्हारे मन में छुपा
नहीं पता क्या है
इस दिल में दबा
पर हाँ कुछ तो है
जिसने तुम्हे
परेशां किया है
माना कि नहीं
बाँट सकती
तुम्हारे दर्द
पर शायद
दोस्ती के नाम पर
ही सही
कुछ तो काम आ सकूँ
मगर हाँ
एक दोस्त के नाते
कुछ कहना
जरूर चाहती हूँ ...
माना कि तुम खफा
हो बीते लम्हों से
बीती यादों से
मगर वो अब बीत
चुका है
क्यों जीना उन पलों के साथ
हाँ ये भी सच है
तुमने बहुत कुछ सीखा
इन लम्हों से
क्योंकि हर पल
हमें कुछ न कुछ
सिखा जाता है
फिर ज़िन्दगी से यूँ खफा क्यों
फैसले हमारे होते हैं
इसमें ज़िन्दगी का क्या कसूर
बस इतना ही
कहना चाहती हूँ
कि हर इंसान बुरा नहीं होता।।




7 comments:

  1. फैसले हमारे होते हैं
    इसमें ज़िन्दगी का क्या कसूर
    ....बिलकुल सच कहा है...बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...

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  2. उखड़े हुए इंसा को दोबार प्यार की राह पर लाना बेहद कठिन काम है ...आपका प्रयास बेहद कमाल है.

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  3. Ji bilkul sahi... Par doodh ka jala chaach bhi fook maar kar peeta hai... Jab ek baar dhokha khaa jaaye koi to har insaan pe shak hota hai... Sunder prastuti !!

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  4. क्योंकि हर पल
    हमें कुछ न कुछ
    सिखा जाता है.

    बहुत अच्छा

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  5. क्योंकि हर पल
    हमें कुछ न कुछ
    सिखा जाता है.

    बहुत अच्छा
    मेरी सोच मेरी मंजिल

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  6. बहुत सुंदर। जिंदगी तो जीनी है तो क्यूं न खुशी से जिया जाये।

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  7. माना कि तुम खफा
    हो बीते लम्हों से
    बीती यादों से
    मगर वो अब बीत
    चुका है
    क्यों जीना उन पलों के साथ

    Nice :)

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