क्या लिंखुँ अब खुद से
क्या कहूं तुमसे
कि अब शब्द नहीं मिलते!!
कुछ कहने की चाहत तो है
पर शायद तुम सुन न पाओगे
अब कहने सुनने को शब्द नहीं बचते !!
वक्त का पहरा भी
कुछ इस कदर है हमपे
कि कुछ लिखने को पल नहीं मिलते!!
लिखने की कोशिश की
तो लिख भी न पाई
कि इस दिल में ख्वाब नहीं रहते !!
क्या कहूं तुमसे
कि अब शब्द नहीं मिलते!!
कुछ कहने की चाहत तो है
पर शायद तुम सुन न पाओगे
अब कहने सुनने को शब्द नहीं बचते !!
वक्त का पहरा भी
कुछ इस कदर है हमपे
कि कुछ लिखने को पल नहीं मिलते!!
लिखने की कोशिश की
तो लिख भी न पाई
कि इस दिल में ख्वाब नहीं रहते !!
सुंदर भाव !
ReplyDeleteपर कोशिश लगातार हो तो बदलाव आता है ...
ReplyDeleteभाव भी आएंगे ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (31-12-13) को "वर्ष 2013 की अन्तिम चर्चा" (चर्चा मंच : अंक 1478) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
2013 को विदायी और 2014 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
नए साल में नए भाव भावनाएं
ReplyDeleteआयेंगे ऐसे अनेक कल्पनाएँ |
नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट नया वर्ष !
नई पोस्ट मिशन मून
यही तो अजीब कश्मकश है ज़िंदगी का ..कभी शब्द नही मिलता तो कभी इज़हार नही होता..
ReplyDeleteन लिखते हुए भी आपने सुन्दर लिख दिया.
ReplyDeleteअनुपम भावाभिव्यक्ति
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
सुन्दर कोमल प्रस्तुति :) बधाई नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये :)
ReplyDelete...फिर भी कहता रहे मन,चलता रहे लेखन!
ReplyDeleteशुभकामाएं!
बहुत सुंदर----
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
नववर्ष की हार्दिक अनंत शुभकामनाऐं----
कुछ कहने की चाहत तो है
ReplyDeleteपर शायद तुम सुन न पाओगे ...
sunder rachna ...
बहुत सुंदर.....
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteमुझे टिप्पणी करने के लिए सच में कोई शब्द नहीं मिलते। बहुत खूब
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