कुछ पल तो बेफिक्री के
बिताओ कभी यारों के साथ,
बिना किसी चिंता बिना किसी डर के
बेसुरे राग में कुछ तो गुनगुनाओं यारों के साथ
कभी रातों में सड़क पर निकल के
चाय की चुस्कियां लगाओ यारों के साथ
कभी बिना बुलाये मेहमान की तरह
दोस्तों के घर पहुँच जाओ बिना बताये
यही तो वो दिन हैं वो उम्र है
जहाँ हम हैं यारों के साथ
फिर क्यों न कुछ पल बेफिक्री के
बिताओं यारों के साथ !!
खुश रहने के कारगर नुख्से
ReplyDeleteबहुत उम्दा गजल ,,,!बधाई
ReplyDeleteRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
बहुत खूब
ReplyDeleteआज की मारामारी में कुछ पल का सुकून तो ऐसे ही मिलेगा ... बेफिक्री के कुछ पल ढूंढती सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteकुछ तो बेफिक्री के पल होने ही चाहिए जीवन में,
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना आभार !
कुछ पल तो बेफिक्री के
ReplyDeleteबिताओ कभी यारों के साथ,
बिना किसी चिंता बिना किसी डर के
बेसुरे राग में कुछ तो गुनगुनाओं यारों के साथ
क्या बात है .... सुन्दर भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुति
काश आज की भाग दौड़ से भरी ज़िंदगी में कुछ पल बेफिक्री के बिता पायें दोस्तों के साथ...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteKuch Pal Ki hai Zindagani.
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