Saturday, September 07, 2013

फुरसत के चार पल ...

कभी फुरसत  में मिलें पल तो हमें बताना
हमारे पास आकर दो लफ्ज़ कह जाना

इस जहाँ में कहाँ है वक्त किसी के पास
मगर तुम तो कुछ पल मेरे साथ बिताना

हमसफ़र हो तो साथ ही चलना
गैरों की तरह यूँ तन्हा न छोड़ना

कहतें हैं की अँधेरे में साया भी साथ छोड़ देता है
पर तुम ऐसे अंधेरों से मुझे बचाना

जब कभी निराशाओं से घिरुं मैं
मेरा हाँथ थाम कर बाहर ले आना !!






24 comments:

  1. नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (08-09-2013) के चर्चा मंच -1362 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  2. बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल

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  3. Anonymous5:33 PM

    Nice one.

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  4. कहतें हैं की अँधेरे में साया भी साथ छोड़ देता है
    पर तुम ऐसे अंधेरों से मुझे बचाना

    जब कभी निराशाओं से घिरुं मैं
    मेरा हाँथ थाम कर बाहर ले आना !!
    बहुत सुन्दर प्रतिभा जी. बाहर के बदले बहार हो गया है.

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  5. Anonymous5:33 PM

    Nice one.

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  6. सुन्दर ग़ज़ल....

    अनु

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  7. कहतें हैं की अँधेरे में साया भी साथ छोड़ देता है
    पर तुम ऐसे अंधेरों से मुझे बचाना
    ..........बहुत सुन्दर....

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  8. बहुत सुंदर गजल बढ़िया अभिव्यक्ति,,,

    RECENT POST : समझ में आया बापू .

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  9. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती।

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  10. डोंट वरी!!!सच्चे और अच्छे लोग, दोस्त हमेशा साथ निभायेंगे....नो मैटर व्हाट!! :) :)

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  11. कुछ मेरी सुन लेना कुछ अपनी कह जाना
    फुरसत के कुछ पल साथ मेरे तुम बिताना

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  12. बहुत सुंदर

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  13. bohat hi pyari rachna

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  14. सहारे की आशाएं ..
    शुभकामनायें !

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  15. संवेदनशील भाव, सुंदर अभिव्यक्ति

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  16. बढ़िया लिखा आपने | आपके ब्लॉग को ब्लॉग"दीप" में शामिल किया गया है | जरूर पधारें |

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  17. सुन्दर रचना! बढ़िया अभिव्यक्ति!
    Latest post हे निराकार!
    latest post कानून और दंड

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  18. Anonymous3:19 PM

    बहुत खूब

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  19. bhawon se bhari hui rachna ....

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  20. कहतें हैं की अँधेरे में साया भी साथ छोड़ देता है
    पर तुम ऐसे अंधेरों से मुझे बचाना


    prem bhare bhaav, achha laga padhna.

    aap apne google+ mein 'blog ki id' likh dein blog tak pahunchna aasan ho jata hai:)

    shubhkamnayen

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  21. सुन्दर प्रस्तुति। पढ़वाने के लिए शुक्रिया।

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