मेरे शिक्षक और उनकी मेहनत
और उनका सहयोग,
इन्ही सब ने तो हमें
यहाँ तक पहुँचाया है,
वो बंदिशें वो डाट
हमारे सर पर
उनका वो प्यार भरा हाँथ,
हममें कुछ करने का जज्बा
और ऊंचाईयों को छूने का
जूनून भरना,
खुद मशाल की तरह ज़लकर
हमें रोशनी देना,
कोटि - कोटि आभार
उन शिछकों का
जिन्होंने हमें यहाँ
तक पहुँचाया,
हमारे हर सपने को
साकार कराया!!
और उनका सहयोग,
इन्ही सब ने तो हमें
यहाँ तक पहुँचाया है,
वो बंदिशें वो डाट
हमारे सर पर
उनका वो प्यार भरा हाँथ,
हममें कुछ करने का जज्बा
और ऊंचाईयों को छूने का
जूनून भरना,
खुद मशाल की तरह ज़लकर
हमें रोशनी देना,
कोटि - कोटि आभार
उन शिछकों का
जिन्होंने हमें यहाँ
तक पहुँचाया,
हमारे हर सपने को
साकार कराया!!
कविता,गद्य,छंद,ग़ज़लों पर ,
ReplyDeleteकब्ज़ा कर ,लहरायें झंडा !
सुंदर शोभित नाम रख लिए
ऐंठ के चलते , लेकर डंडा !
भीड़ देख , इन आचार्यों की, आतंकित हैं, मेरे गीत !
कहाँ गुरु को ढूंढें जाकर , कौन सुधारे आकर, गीत !
Beautiful words ma'am.. Keep on posting.. :)
ReplyDeleteप्रतिभा जी काश सच्चे शिक्षक मिल जाएँ तो जीवन सुधर ही जाता है जीवन के मूल्य समझ आते हैं जीवन भर ..सुन्दर रचना ..शुभ कामनाएं
ReplyDeleteभ्रमर ५
achha guru mile to vidyarthi ka jeevan achha ho jata hai, shikshakon ko yaad karti achhi rachna
ReplyDeleteshubhkamnayen