ओ धुंधलाती हुई शाम
जहाँ था तुम्हारा इंतज़ार
और तुम्हारी यादें
आसपास थी हलचल
लेकिन मेरे अन्दर
कहीं था सन्नाटा
एक सूनापन
जो खुद ही से कुछ
कह रहा था
शायद तुम्हारी याद में
बेपनाह मुझको
झिझोड़ रहा था
कह रहा था तुम
न आओगे लौट कर
वापस
ये कहकर ओ
मेरे सपने को
तोड़ रहा था
लड़ रही थी इन सबसे
सँजो कर रखना चाहती थी
इस सपने को
जिसमें तुम हो
और तुम्हारी यादें
देखतें हैं कौन जीतता है !!!
जहाँ था तुम्हारा इंतज़ार
और तुम्हारी यादें
आसपास थी हलचल
लेकिन मेरे अन्दर
कहीं था सन्नाटा
एक सूनापन
जो खुद ही से कुछ
कह रहा था
शायद तुम्हारी याद में
बेपनाह मुझको
झिझोड़ रहा था
कह रहा था तुम
न आओगे लौट कर
वापस
ये कहकर ओ
मेरे सपने को
तोड़ रहा था
लड़ रही थी इन सबसे
सँजो कर रखना चाहती थी
इस सपने को
जिसमें तुम हो
और तुम्हारी यादें
देखतें हैं कौन जीतता है !!!
बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुती, आभार।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुती, आभार।
ReplyDeleteनमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (20 -08-2013) के चर्चा मंच -1343 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन ,,
ReplyDeleteRECENT POST : सुलझाया नही जाता.
जिसमें तुम हो
ReplyDeleteऔर तुम्हारी यादें
देखतें हैं कौन जीतता है !!!
यादों में ही रहता है व्यक्ति का अक्स ,
उसकी यादें और बातें मुलाकातें -
और वो बोलते बतियाते रास्ते -
जिसने कभी बा वास्ता थे वह दोनों।
सुन्दर रचना है।
बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुती, आभार।
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा अंक -2: रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.
सपने टूट भी जाएं तो यादें नहीं जाती ...
ReplyDeleteप्यार एहसास भरी रचना ...
बहुत ही भावपूर्ण ओर सुन्दर रचना, रक्षा बंधन की बधाई ओर शुभकामनायें .
ReplyDeleteबहुत सुंदर एवँ मोहक रचना ! रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteBahut Khub...
ReplyDeleteBahut khub... Kya likha hai...
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteइंतज़ार और आस के पल और फल दोनों ही मीठे होतें हैं क्योंकि मन मोदक हैं दोनों।
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDelete:)
सुना था सपने
संजोये जाते हैं
पहली भार सुना
सपने लडे़ भी जाते है
किसी की हार
होती है और
कोई जीत जाते हैं !
बहुत सुन्दर रचना .
ReplyDeletehttp://yunhiikabhi.blogspot.com