कभी- कभी चाँद से करती हूँ बातें
कुछ अपनी कहती हूँ
कुछ उसकी सुनती हूँ
हम घंटों बैठतें हैं साथ
खामोश रातों में
तन्हाई में
कुछ शिकायतें
और कुछ शिकवों के साथ
हकीकत से परे
बस अपनी ही दुनिया में
जहाँ होते हैं मेरे
बहुत सारे सवाल
और मेरे खुद के
कुछ एक जवाब!!
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,
ReplyDeleteRecent Post: सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार,
हम घंटों बैठतें हैं साथ
ReplyDeleteखामोश रातों में
तन्हाई में
कुछ शिकायतें
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कुछ मनभावन बातचीत का मौन दर्द ..
हम घंटों बैठतें हैं साथ
ReplyDeleteखामोश रातों में
तन्हाई में
कुछ शिकायतें
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कुछ मनभावन बातचीत का मौन दर्द ..
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,चाँद से जबाब मिलता है की नहीं.
ReplyDeleteभाषा सरल,सहज यह कविता,
ReplyDeleteभावाव्यक्ति है अति सुन्दर
अतिसुन्दर...
ReplyDelete"स्वस्थ जीवन पर-त्वचा की देखभाल"
सहज,सुंदर,भावपूर्ण ... चाँद से बातें इसी तरह तो करते हैं ... :)
ReplyDeleteकुछ मेरी सुन कुछ अपनी सुना ए दोस्त हम दोनों ही तो हैं तन्हा -----तन्हाई में चाँद से अच्छा दोस्त कहाँ मिलेगा बहुत बढ़िया बधाई आपको
ReplyDeletedilchasp mulaqat...chaand...khoobsurat sathi...
ReplyDeleteबेहतरीन !
ReplyDeleteसादर
वाह जग सोया तुम जागे चाँद से करते बातें ....सुन्दर ख्याल |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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खामोश रातों में
ReplyDeleteतन्हाई में
कुछ शिकायतें ..bilkul sahi wakt ....very nice,....
सवाल जवाब खुद से हो जाएं वो भी चाँद के बहाने तो आब ही क्या है ...
ReplyDeleteभावमय रचना ...
ReplyDeleteपरी लोक फेंटेसी की दुनिया भी असली होती है .भाव जगत रागात्मकता का अपना संसार है .
सोच कही और जाने लगी थी ...... अच्छा किया जल्दी राज खोल दिया की खुद से बतिया रही थीं - बहुत सुंदर
ReplyDeleteमासूमियत से लबरेज
ReplyDeleteबहुत - बहुत शुक्रिया अरुन जी ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...
ReplyDeleteचाँद की खामोशी भी बहुत कुछ बोलती है .....
ReplyDeleteसुन्दर अहसास लिए रचना...
ReplyDelete:-) बहुत खूब....
nicely composed.
ReplyDeleteबहुत अच्छी पंक्तियाँ, हम भी ऐसे ही बातें हैं .. :)
ReplyDeleteमधुरेश
दम भर जो उधर मुंह फेरे ओ !चंदा मैं उनसे प्यार कर लूंगी ,बातें हजार कर लूंगी ....
ReplyDeleteचाँद जाने कहाँ खो गया ,उनको चेहरे से पर्दा हटाना था ........
फाग मुबारक फाग की रीत और प्रीत मुबारक
बहुत खूब ......खूब जमेगी जबी मिल बैठेंगे यार दो .....
ReplyDeleteChand se chand kii baatein karenge
kuchh kahenge dil kii baatein
kuchh unke dil ki baatein sunenge
Band aankhon se hansi nazara karenge
dhadkano kii lay pe saanson ke geet
vo bhi sunenge ,ham bhi sunenge
Chand se chand kii baatein karenge........
Poonam
बढ़िया अभिव्यक्ति
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
sundar ehsas say bhari rachna....
ReplyDeleteखामोशी ,खामोश रातों में
ReplyDeleteतन्हाई , रीत और प्रीत, मासूमियत चेहरे से पर्दा हटाना और जाने.......बहुत खूब
सच जब कोई न सुने तब चाँद तो अपना ही है चुपचाप सुन लेता है हमारी दिल की बात ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...
what a feeling,very deedp nice creation
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव . आप सौभाग्यशाली हैं, आप चाँद से बात करती है. मुझे अपनी एक कविता की दो पंक्ति याद आती है :
ReplyDeleteबहुत दिन हुए खुले आकाश में रात नहीं हुई,
बहुत दिन हुए चाँद से मुलाकात नहीं हुई .
सादर ,
नीरज 'नीर'
.बहुत खूब सहज,सुंदर पंक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव!
ReplyDeleteप्यारे शब्द. काश वो दिन लौट आते. अब चाहकर भी चाँद नहीं देख पाते.
ReplyDelete♥
हम घंटों बैठतें हैं साथ
खामोश रातों में
तन्हाई में...
... ... ...
...जहाँ होते हैं मेरे
बहुत सारे सवाल
और मेरे खुद के
कुछ एक जवाब!!
चांद के साथ मिलना सचमुच रोचक है
प्रतिभा जी
ख़ूबसूरत कविता पढ़वाने के लिए शुक्रिया !
आपको सपरिवार होली की बहुत बहुत बधाई !
हार्दिक शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
वाह... बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteकोमल अहसासों से सजी कविता..
ReplyDeleteबहुत सुंदर और कोमल भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपको रंगोत्सव की शुभ-कामनाएं.....
साभार......
बहुत सुन्दर लेखन
ReplyDeleteकहीं गुम कर देती हुई कविता ...
ReplyDeleteकुछ ऐसी ही एक कविता >>
http://corakagaz.blogspot.in/2012/12/mujhe-le-chalo.html