Saturday, January 26, 2013

कैसे शुभकामनाएं दूँ ...


कैसे शुभकामनाएं दूँ तुमको 
इस गड्तंत्र दिवस की 
बोलो कोई है वज़ह 

हमारा भारत आज भी तो वहीं है 
जहाँ कल था 
जाके देखो उन गाँव में 
जहाँ आज भी बिजली 
की ज़गह दिया जलता है 

उन मिट्टी की दीवारों 
से आज भी बारिश 
में पानी अन्दर आता है 

तब अपने तन को 
ढकने के बजाय 
वो आज भी अपने 
जानवरों को ढकते है 

उस कोमल मन को 
आज भी ये जानवर 
बच्चों की तरह ही प्यारे हैं 

आज भी राशन की 
लम्बी लाइन लगाना 
और घंटों बाद ये पता चलना 
की आज भी बंद है 

किस हक़ की बात करें हम आज  
जो किसी को मिला ही नहीं 

बस कुछ एक नेताओं 
की झोली में समिटकर 
ख़त्म हो जाता है।।

5 comments:

  1. आज की दुर्दशा पर सार्थक रचना।

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  2. अच्छा चित्र पर हर चीज़ के लिए नेताओं को ही दोष देने से पहले हमे यह भी याद रखना चाहिए कि अपने मताधिकार से हमने ही इन्हें चुना है।

    गणतन्त्र दिवस की शुभ कामनाओं सहित

    सादर

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,

    नेताओं को दोष देना बेकार है दोषी हम खुद है,हम क्यों चुनते एसर नेताओं को,,

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,

    recent post: गुलामी का असर,,,

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    वन्देमातरम् !
    गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ!

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  5. :(
    Ummid lie chal rhe hai,ek din Haalat bhi badlenge...khud ko badlne se shuru karna hoga...

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