Passionate about poetry, nature and human psychology. A wanderer, firm believer of creativity, the best quality a person can acquire in his lifetime. This is the blog of Pratibha Verma.
Thursday, March 02, 2017
ज़िन्दगी और वक़्त...
ज़िन्दगी और वक़्त
रेत जैसे ही तो हैं
जितना कोशिश करो
मुठ्ठी में बांधने की
उतनी तेज़ी से
फिसलते हैं !!!
जिंदगी का ये फलसफा है ... जितनी जल्दी समझ आये अच्छा ...
ReplyDeleteha per kuch lamhe mutthi m hi band reh jaate hai
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