Thursday, July 13, 2006

आईने की तलाश,..

खुद को समझाना चाहती हूँ,
हर दर्द खुद से बतलाना चाहती हूँ
आज गर कोई पास होता मेरे,
तो ऐसा करने की चाहत ना होती
हर कागज पर इक आईना,
तलाशने की हसरत न होती ।

2 comments:

  1. Rajni Girisean4:47 PM

    Dil ko Touch kar liya apne...!

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  2. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    नब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामना.

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