Sunday, March 13, 2016

हमें इख्तलाह भी न हुई...

हमें इख्तलाह भी न हुई
तुम्हारी रुसवाई की
और तुम कुछ यूं ख़फ़ा हुए
कि ज़माने को भी भनक न लगी !!

1 comment:

  1. सुन्दर पंक्तियाँ

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