Thursday, July 14, 2016

क्यों खामोश हैं ये रातें ...


क्यों कुछ नहीं बोलती ये रातें 
क्यों नहीं करती हैं ये बातें 
शाम की सुहानी छांव के बाद 
माना हंसी हैं ये रातें 
चाँद की रौशनी में डूबी 
शबनमी ये रातें 
पर कभी कभी ये ख़ामोशी भी 
बड़ी बेगानी सी लगती है 
अनजाना है कोई वो 
जिसके बारे में गुफ्तगू करनी है 
इन रातों से... 
पर न जाने 
क्यों कुछ नहीं बोलती ये 
आखिर क्यों खामोश हैं ये रातें !!!


4 comments:

  1. ध्यान से सुनिये इनकी गुपचुप बातें

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  2. कितनी रातें ... खामोश सी रातें पर एहसास में सब कुछ कह जाती रातें ...

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