Friday, July 29, 2016

तेरा अल्लहड़पन याद आएगा...






तेरा अल्लहड़पन याद आएगा,
तेरी ये अनसुलझी बातें याद आएंगी !
तेरे संग बिताये इन लम्हों में,
तेरी महकी सी याद आएगी !
कह नहीं सकती कि तू दिल के करीब है कितना,
तेरे संग गुजरा हर लम्हा याद आएगा !
तेरी ये बातें ये मुलाकातें
सबकुछ संभाल के,
रखूँगी इस दिल में ! 
जा रही है तू यहाँ से .. 
मत समझ जा रही है तू दिल से,
बस पंख खोल के उड़ना 
इस खुले आसमाँ  में !
ज़मी तेरी है और ये आसमाँ  भी तेरा है...  
बस बुन लेना सपनो की चादर को ,
और उड़ जाना इस खुलेआसमाँ में !!

Thursday, July 14, 2016

क्यों खामोश हैं ये रातें ...


क्यों कुछ नहीं बोलती ये रातें 
क्यों नहीं करती हैं ये बातें 
शाम की सुहानी छांव के बाद 
माना हंसी हैं ये रातें 
चाँद की रौशनी में डूबी 
शबनमी ये रातें 
पर कभी कभी ये ख़ामोशी भी 
बड़ी बेगानी सी लगती है 
अनजाना है कोई वो 
जिसके बारे में गुफ्तगू करनी है 
इन रातों से... 
पर न जाने 
क्यों कुछ नहीं बोलती ये 
आखिर क्यों खामोश हैं ये रातें !!!