Monday, October 19, 2015

एक सपना बुना था...

बचपन में उड़ते परिंदे को देखकर
एक सपना बुना था मैंने
हाँ उड़ना चाहती थी
उस परिंदे की तरह
छूना चाहती थी नीले
आसमान को.…
और हौंसले की कमी भी न थी
पर शायद वक़्त ने
पर ही क़तर दिए !!!