Thursday, August 06, 2015

चले जा रहे हैं...

बस चले  जा रहे हैं
इस अन्जानी सी राह पे
न मंजिल का कुछ पता
न राहों से कोई वास्ता
बस अपनी ही धुन में
चले जा रहे हैं
हाँ तुम्हारे साथ का
भीना सा एक एहसास है
बस उस एहसास के साथ
एक भरोसे  की डोर
बाँधी है मैंने
अब डोर कितनी
मजबूत है
ये फैसला
वक्त का होगा !!!