Thursday, August 28, 2014

समझना चाहती हूँ तुमको...

तुम्हारी मासूम सी 
सूरत देखकर
कुछ ख्याल आते हैं 
मन में,
शायद कोई दर्द छुपा है
इस दिल में,
या हज़ारों राज़ दबे हैं
इन पलकों में,
तुम्हारी खामोश आँखे
कुछ कहती हैं मुझसे
शायद कुछ कहना 
चाहती हैं
शायद पलकों में 
छुपे राज
बताना चाहती हैं
या तुम्हारे दिल के दर्द
बाँटना चाहती हैं
तुम मुँह से 
कुछ नहीं कहते 
तुम्हारी ख़ामोशी 
कुछ तो बोलती है 
समझना चाहती हूँ 
इस ख़ामोशी को
या ये कह लो समझना 
चाहती हूँ तुमको!!


Saturday, August 23, 2014

माना कि बहुत मुश्किल है …

माना  कि  बहुत मुश्किल है
किसी को समझ पाना
उससे भी मुश्किल है
उसके करीब आना ।

पर हर कोई एक
जैसा तो नहीं होता
जैसे हर दर्द एक
सा नहीं होता ।

और हम हर किसी को
एक जैसा नहीं समझ सकते
क्योंकि हर चेहरे का रंग
एक जैसा नहीं होता ।

फिर अपनी ज़िन्दगी में
हज़ार यादें  होती हैं
कुछ कड़वी कुछ मीठी
पर सबका अपना अलग रंग है ।

हम इन सबकी वज़ह से
सभी से मुहँ तो नहीं मोड़ सकते
ज़िन्दगी पुरानी यादों
के सहारे तो नहीं जी सकते ।

फिर से किसी पे भरोसा करना
गलत तो न होगा
इस सोंच के साथ
ज़िन्दगी बिताना सही भी तो न होगा।।

Tuesday, August 19, 2014

ये रेत की दीवारें…



जहाँ रिसता है पानी
हर बारिश की बूँद के साथ

जहाँ पलते  हैं सपने
हर नींद के साथ

जहाँ होता है उजाला
हर रोज नई रौशनी के साथ

जहाँ आज भी जानवर
बच्चों की तरह प्यारे हैं

जहाँ राशन की लम्बी
कतार तो है

पर दुकान पर
राशन नहीं है

जहाँ भूख तो है
पर रोटी कम पड़ जाती है

ये रेत की दीवारे कब
ढह जाएँ ये इन्हें भी नहीं पता।। 








Sunday, August 17, 2014

ख्वाहिशें कभी कम न रखना...



ख्वाहिशें कभी कम
 न रखना
कुछ न मिले
तो गम न करना

मुद्दत से मिली
है ये ज़िन्दगी
हमेंशा कुछ
करने की ज़िद्द रखना

मालूम है
कि तुम 
छुओगे आसमां 
को एक दिन 

बस हमेंशा 
कुछ ऐसा ही 
कर गुजरने की 
चाहत रखना।।


Thursday, August 14, 2014

कैसा है आज़ादी का रंग ...




आजादी का रंग 
कैसा है 
किसी को पता है 

तीन रंग में 
रंगा तिरंगा 
अशोक चक्र के साथ 

हाँ बचपन से 
यही तो  
देखा है 

पर सोंच के तो देखो 
कि  आज़ादी का 
रंग  कैसा है 

कोई रंग आया 
समझ में 
चेहरे पर ख़ुशी के साथ 

शायद नहीं 
हमें नहीं पता 
कैसा रंग है आजादी का 

क्या हम सच में 
आज़ाद हुए है 
या अब भी गुलाम हैं 

सोंच के देखो 
शायद कोई 
जवाब मिल जाए।। 




Sunday, August 10, 2014

प्यार के दो धागे...

माना कि है
ये त्योहार कुछ
रश्मों का

पर प्यार बहुत
है उन अनमोल
पलों का

हाँ याद हैं
वो सभी पल
वो बचपन की बातें

वो हमारा
लड़ना झगड़ना
और वो सरारतें

ये प्यार के दो धागे
कैसे जोड़ते हैं
एक रिश्ते को

बड़ी ही सहजता
के साथ
संजोया है इस रिश्ते को!!









Wednesday, August 06, 2014

वो सावन के झूले ...


याद आते हैं वो सावन के झूले 
वो मिट्टी की खुशबू 

वो बारिश की बूंदे 
वो फूलों की महक 

वो चिड़िओं का चहकना 
वो मोर का नाचना 

वो सावन के गीत 
वो हथेली पे मेहँदी 

वो आम की डाली
वो कोयल की कूक 

घर की वो रौनक 
रसोईं की वो  महक  

हाँ बहुत याद आते हैं 
वो हँसी वो ठिठोली

वो सखियाँ वो झूले
और वो ख़ुशी के पल। 





Sunday, August 03, 2014

तेरी मेरी कहानी ...



तू ही बता कहाँ से शुरू करूँ
बचपन की वो खट्टी मीठी  बातें
या हमारी बड़ी बड़ी सरारतें
वो हमारा झगड़ना
छोटी छोटी बातों पे तेरा मुझसे
रूठना,मनाना, शिकायतें
फिर मुहँ फुला के ये कहना
जाओ मुझे तुमसे
बात नहीं करनी
और थोड़ी देर बाद
दबी सी आवाज़ मे ये कहना
ओये प्रतिभा मैं  अभी भी
नाराज़ हूँ, और  ऐसे नहीं मनाने वाली
पूरी पूरी रात मेरे साथ जगना
मुझे नींद न आने पे
माँ की तरह सुलाना
मेरी हर बात  को सुनना
मेरे परेशाँ हो जाने पर
तेरा भी परेशाँ हो जाना
सब याद है मुझे
क्या मिशाल दूँ
अपनी दोस्ती की
तू कल भी मेरे लिए ख़ास थी
और आज भी है।।


Friday, August 01, 2014

फलक से शिकायत …

आज नींद को
फलक से
शिकायत क्यों है
इसमें फलक का
क्या कसूर,
खता तो इस
दिल की  है
जो तुम्हारी
याद में सो न सका!!!