Sunday, December 26, 2010

हम ऐसे क्यों हार जातें हैं......

हम ज़िन्दगी से ऐसे क्यों हार जाते हैं,
एक ही पल में सारा जहाँ झोड़ जातें हैं|
क्या चाहत है हमारी ज़िन्दगी से ,
हम उस पल वो भी भूल जातें हैं|
लोग कहतें हैं ये तो खेल है कुदरत का ,
ये तो किस्मत में लिखा है उस खुदा ने|
अगर कहीं खुदा है इस जहाँ में,
तो वो इतना बड़ा दर्द हमें कैसे दे पाता है||

Tuesday, December 21, 2010

किनारे कि तलाश में...

हम कश्ती में बैठे थे किनारे कि तलाश में ,
पर लहरों में कोई तो खलल थी ,
कोई तो तूफां था समंदर में|
हम समझना चाहते थे कि समन्दर,
इतना बेचैन क्योँ है आज |
हम कुछ भी समझ पाते ,
किनारा तलाश कर पाते |
उससे पहले ही हम अपनी कश्ती डूबा बैठे||

Wednesday, December 08, 2010

कब कहा था.................

हमें खुद पे गुरुर है ये हमने कब कहा था,
हम हर मुस्किल का सामना डट कर करेंगें ,
ऐसा हमने कब कहा था,
पर हम कमज़ोर भी तो न थे|

Friday, December 03, 2010

कोशिश

हर मुस्किल का सामना करना इतना आसान नहीं है,
एक कोशिश करके तो देखो.
अपना हौंसला बढ़ा के तो देखो,
रास्तें खुद-ब-खुद बन जायेंगें.